अर्थ : आयुर्वेद की एक शाखा जिसमें कान, नाक, आँख, जीभ, मुँह आदि के रोगों तथा उनकी चिकित्सा का विवेचन हो।
उदाहरण :
चाचाजी शालाक्यशास्त्र के अध्यापक हैं।
पर्यायवाची : शालाक्यशास्त्र
अर्थ : वह जो आँख, नाक, मुँह जीभ आदि के रोगों की चिकित्सा करता हो।
उदाहरण :
पिताजी अपनी जीभ दिखाने शालाक्य के पास गए थे।